भारतमाला घोटाला: नायकबांधा में मुआवजे की मलाई, नाबालिग भी बने करोड़पति: रायपुर : भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना अब एक बड़े...
भारतमाला घोटाला: नायकबांधा में मुआवजे की मलाई, नाबालिग भी बने करोड़पति:
रायपुर : भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना अब एक बड़े घोटाले की परतें खोल रही है। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के अभनपुर ब्लॉक के नायकबांधा गांव में जमीनों के फर्जी बंटवारे और फर्जीवाड़ों का ऐसा खेल हुआ कि नाबालिग बच्चे करोड़पति बन बैठे। मुआवजा लेने के लिए एक ही खसरा नंबर पर दो-दो बार पैसे उठा लिए गए।
फर्जी बंटाकन का गढ़ बना नायकबांधा:
सूत्रों के अनुसार, नायकबांधा गांव में अफसरों की मिलीभगत से एक सुनियोजित योजना के तहत किसानों और भूमाफियाओं ने मिलकर जमीनों को नकली हिस्सों में बाँट दिया। एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर कई हिस्से किए गए, और फिर उन सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग मुआवजे की मांग की गई।
रातों-रात जमीन के सौदे:
जांच में सामने आया कि कई व्यापारियों ने ग्रामीणों के नाम पर जमीनें खरीदकर रातों-रात नामांतरण करवा लिए। यह सब कुछ भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजे की घोषणा से ठीक पहले हुआ — जिससे यह स्पष्ट है कि इस पूरे घोटाले की योजना पहले से बनाई गई थी।
300 करोड़ का खेल:
अब तक की जांच में 300 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला सामने आ चुका है। मुआवजे के दस्तावेजों में गड़बड़ियां, फर्जी हस्ताक्षर और बोगस खसरा नंबरों का खुलासा हुआ है। कई मामले ऐसे हैं, जहां एक ही जमीन पर दो बार मुआवजा दिया गया।
नाबालिगों के नाम मुआवजा:
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ मामलों में 12 से 15 साल के बच्चों के नाम जमीन दर्ज की गई और उनके नाम पर लाखों-करोड़ों का मुआवजा भी पास कर दिया गया। इससे यह स्पष्ट है कि इस घोटाले को अंजाम देने वालों ने हर संभव तरीका अपनाया।
अब जांच के घेरे में अफसर और नेता:
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष दल गठित कर दिया है। अब निगाहें उन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर हैं, जिन्होंने इस घोटाले की अनदेखी की या जानबूझकर इसमें हिस्सा लिया
यह सिर्फ घोटाला नहीं, सिस्टम की नाकामी का आईना है।
जवाबदेही तय होगी या फाइलों में दफ्न हो जाएगा 300 करोड़ का सवाल?
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