बस्तर की पहचान बदल रहीं बेटियां: रजिया पहुँचा रहीं महुआ विदेशों तक, उर्मिला दिला रहीं बस्तर को नया मुकाम: बस्तर : कभी घोर नक्सल प्रभावित...
बस्तर की पहचान बदल रहीं बेटियां: रजिया पहुँचा रहीं महुआ विदेशों तक, उर्मिला दिला रहीं बस्तर को नया मुकाम:
बस्तर : कभी घोर नक्सल प्रभावित इलाकों के रूप में पहचाने जाने वाले बस्तर की तस्वीर अब बदल रही है। यहां की बेटियां अपनी मेहनत और जुनून से न सिर्फ अपनी जिंदगी संवार रही हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र की पहचान को भी एक नई ऊंचाई तक पहुंचा रही हैं।
महुआ को विदेशों तक पहुँचा रहीं रजिया शेख:
जगदलपुर की रजिया शेख पारंपरिक बस्तरी महुआ को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने का काम कर रही हैं। कभी सिर्फ स्थानीय बाजारों तक सीमित इस पेय को अब विदेशी प्लेटफॉर्म पर भी पहचान मिल रही है। उनकी इस पहल से न सिर्फ महुआ उत्पादकों को आर्थिक मजबूती मिल रही है, बल्कि बस्तर की पारंपरिक संस्कृति को भी वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।
विदेशी पर्यटकों को बस्तर से जोड़ रहीं उर्मिला नाग:
माझीपाल की उर्मिला नाग बस्तर की खूबसूरती और समृद्ध संस्कृति को दुनिया के सामने लाने का प्रयास कर रही हैं। वह विदेशी पर्यटकों को बस्तर के गहरे जंगलों, ऐतिहासिक गुफाओं, लोक कलाओं और स्थानीय परंपराओं से परिचित करवा रही हैं। उनके इस प्रयास से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि बस्तर के लोगों को भी आर्थिक अवसर मिल रहे हैं।
"हम जंगली, पिछड़े या नक्सली नहीं, हम बस्तर को नई पहचान दे रहे हैं:
रजिया और उर्मिला कहती हैं, "हम न तो जंगली हैं, न पिछड़े और न ही नक्सली। हम बस्तर को एक नई पहचान देना चाहते हैं और इसमें सफल भी हो रहे हैं।" इन दोनों की मेहनत और साहस ने यह साबित कर दिया है कि बस्तर की पहचान अब सिर्फ संघर्ष और अशांति से नहीं, बल्कि विकास, संस्कृति और आत्मनिर्भरता से होगी।
रजिया और उर्मिला जैसी महिलाओं की पहल यह दिखाती है कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी पहचान बदली जा सकती है। ये दोनों सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि पूरे बस्तर के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
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