भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरकारी सेवकों को बड़ा झटका: SC ने कहा, FIR से पहले जांच जरूरी नहीं: नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने ए...
भ्रष्टाचार के आरोपों पर सरकारी सेवकों को बड़ा झटका: SC ने कहा, FIR से पहले जांच जरूरी नहीं:
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में किसी सरकारी सेवक के खिलाफ FIR दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) करना अनिवार्य नहीं है। यह फैसला सरकारी अधिकारियों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि अब वे FIR से बचने के लिए प्रारंभिक जांच की बाध्यता का सहारा नहीं ले पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला:
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों में FIR से पहले प्रारंभिक जांच की कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं है। हालांकि, कुछ मामलों में जांच एजेंसियां अपने विवेक से प्रारंभिक जांच कर सकती हैं, लेकिन आरोपी को इसका कोई कानूनी अधिकार नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब किसी सूचना से संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) का खुलासा होता है, तो FIR दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की कोई जरूरत नहीं होती। इसका उद्देश्य सिर्फ यह तय करना है कि क्या मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं।
लोक सेवकों के लिए झटका क्यों?
यह फैसला उन सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो भ्रष्टाचार के आरोपों में FIR दर्ज होने से पहले प्रारंभिक जांच की दलील देकर खुद को बचाने की कोशिश करते थे। इससे पहले, कई मामलों में आरोपी अधिकारी कोर्ट में जाकर FIR को चुनौती देते थे और तर्क देते थे कि पहले जांच होनी चाहिए थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में FIR दर्ज करना आसान हो जाएगा और आरोपी अधिकारियों को कानूनी प्रक्रिया से बचने का मौका नहीं मिलेगा।
कर्नाटक के मामले से आया फैसला:
यह फैसला कर्नाटक के एक मामले से जुड़ा था, जहां कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने एक लोक सेवक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में FIR दर्ज की थी। हाई कोर्ट ने इस FIR को रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि FIR दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच अनिवार्य नहीं है और हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश:
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कदम माना जा रहा है। इससे जांच एजेंसियों को बिना किसी बाधा के भ्रष्टाचार के मामलों में FIR दर्ज करने की सुविधा मिलेगी और लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं से बचने की संभावनाएं कम हो जाएंगी।
इस फैसले के बाद सरकारी अधिकारियों पर निगरानी और कड़ी हो सकती है, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आएगी।
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