बस्तर में वन घनत्व में उल्लेखनीय वृद्धि: 450 वर्ग किमी क्षेत्र सघन वन में तब्दील: बस्तर : जो अपनी प्राकृतिक समृद्धि और जैव विविधता के लिए...
बस्तर में वन घनत्व में उल्लेखनीय वृद्धि: 450 वर्ग किमी क्षेत्र सघन वन में तब्दील:
बस्तर : जो अपनी प्राकृतिक समृद्धि और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, एक और बड़ी पर्यावरणीय सफलता की ओर अग्रसर है। हाल ही में प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, बस्तर क्षेत्र में वन आवरण के घनत्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ सरकार के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों और वन विभाग द्वारा किए गए सतत कार्यों का परिणाम है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और वन मंत्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ वन विभाग ने वन संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इन प्रयासों के कारण बस्तर का 450 वर्ग किमी विरल वन क्षेत्र अब सघन वन में तब्दील हो चुका है। यह परिवर्तन न केवल जैव विविधता संरक्षण में सहायक होगा, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन और जलवायु सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
वन सर्वेक्षण के अनुसार सकारात्मक परिवर्तन भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई), देहरादून द्वारा उपग्रह-आधारित एलआईएसएस-तीन सेंसर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बस्तर के कई क्षेत्रों में वन आवरण की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार:
152 वर्ग किमी वन क्षेत्र मध्यम घने वन से बहुत घने वन में परिवर्तित हुआ है।
156 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से मध्यम घने वन में बदल गया है।
93 वर्ग किमी भूमि गैर-वन से खुले वन में परिवर्तित हुई है।
19 वर्ग किमी क्षेत्र खुले वन से सघन वन में अपग्रेड हुआ है।
18 वर्ग किमी क्षेत्र झाड़ियों और झाड़-झंखाड़ से खुले वन में बदला है।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सतत प्रयास वन संरक्षण की इस सफलता में स्थानीय समुदायों की भागीदारी भी एक महत्वपूर्ण कारक रही है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और पर्यावरणीय जागरूकता अभियानों ने लोगों को वन संरक्षण के प्रति प्रेरित किया है। वृक्षारोपण, वन संरक्षण परियोजनाएं और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग इस सफलता की आधारशिला रहे हैं।
भविष्य की दिशा बस्तर में वन घनत्व की यह वृद्धि छत्तीसगढ़ की पर्यावरण नीति की सफलता को दर्शाती है। आने वाले वर्षों में, सरकार और वन विभाग इस सकारात्मक प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की योजना बना रहे हैं।
यह उपलब्धि न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जिससे देश के अन्य राज्यों को भी सीख लेने की जरूरत है।
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