चार साल की कानूनी लड़ाई: जब एक MBBS डॉक्टर बना अपना ही वकील, हाईकोर्ट तक खुद लड़ा केस: छत्तीसगढ़ : के बेमेतरा जिले के बेरला तहसील के ग्रा...
चार साल की कानूनी लड़ाई: जब एक MBBS डॉक्टर बना अपना ही वकील, हाईकोर्ट तक खुद लड़ा केस:
छत्तीसगढ़ : के बेमेतरा जिले के बेरला तहसील के ग्राम पिरदा निवासी प्रशांत ने अपनी शादी से जुड़े विवाद में चार साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और खुद को न्याय दिलाने के लिए वकील बन गए। यह कहानी एक ऐसे साहसी व्यक्ति की है, जिसने न सिर्फ निचली अदालत बल्कि हाईकोर्ट तक अपने केस की पैरवी खुद की और अंततः जीत हासिल की।
शादी के बाद क्या हुआ?
प्रशांत का विवाह 10 जून 2017 को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई की एक युवती से हुआ था। शादी के बाद उनकी पत्नी केवल ढाई महीने तक गांव में रहीं। इसके बाद उन्होंने कोचिंग के लिए बिलासपुर जाने और अलग रहने की जिद शुरू कर दी। एक दिन, बिना बताए घर छोड़कर चली गईं, जिससे प्रशांत और उनका परिवार मानसिक तनाव में आ गया।
कानूनी जंग की शुरुआत:
पत्नी के घर छोड़ने के बाद जब प्रशांत ने उसे मनाने की कोशिश की, तो स्थिति बिगड़ती चली गई। अंततः मामला अदालत तक पहुंचा। शुरुआत में उन्होंने वकील की मदद ली, लेकिन झूठे आरोपों और लंबी कानूनी प्रक्रिया से परेशान होकर उन्होंने खुद अपने केस की पैरवी करने का फैसला किया।
चार साल तक खुद लड़ा केस:
प्रशांत ने कानून की किताबें पढ़ीं, कानूनी प्रक्रियाएं समझीं और आत्मविश्वास के साथ निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक अपने केस की पूरी जिम्मेदारी संभाली। अदालत में उन्होंने मजबूत तर्कों के साथ अपना पक्ष रखा और अपनी बेगुनाही साबित करने में सफल रहे।
हाईकोर्ट का फैसला और न्याय की जीत:
चार साल की लंबी लड़ाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी के साथ प्रशांत के पक्ष में फैसला सुनाया और तलाक की मंजूरी दी। यह उनके लिए एक बड़ी जीत थी, क्योंकि उन्होंने बिना किसी पेशेवर वकील के अपनी लड़ाई खुद लड़ी थी।
प्रशांत का संदेश: झूठे मामलों से न घबराएं:
फैसले के बाद प्रशांत ने कहा,
"मैंने अपनी लड़ाई खुद लड़ी और जीत हासिल की। मेरी यही सलाह है कि कोई भी पुरुष झूठे और फर्जी मामलों से न डरे, बल्कि अपने अधिकारों के लिए डटकर खड़ा रहे।"
प्रशांत की यह प्रेरणादायक कहानी यह साबित करती है कि अगर इंसान हिम्मत, धैर्य और ज्ञान के साथ आगे बढ़े, तो न्याय पाना संभव है।
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