बस्तर की बदलती तस्वीर: लाल सलाम की गूंज से ABCD की धुन तक: बस्तर : जो कभी नक्सली गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहता था, अब शिक्षा और व...
बस्तर की बदलती तस्वीर: लाल सलाम की गूंज से ABCD की धुन तक:
बस्तर : जो कभी नक्सली गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहता था, अब शिक्षा और विकास की नई कहानी लिख रहा है। जिस गांव में कभी नक्सली लीडर हिडमा का खौफ था, वहां अब बच्चों की किताबों से ज्ञान की रोशनी फैल रही है। CRPF द्वारा संचालित ‘गुरुकुल’ नामक स्कूल में नन्हे कदम अपने सपनों की उड़ान भर रहे हैं।
जहां कभी लाल सलाम के नारे गूंजते थे, वहां अब ककहरा और अंग्रेजी के अक्षर गूंज रहे हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि बस्तर अब भय और हिंसा से बाहर निकलकर एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहा है। CRPF और स्थानीय प्रशासन की इस पहल ने न केवल गांवों में शिक्षा का संचार किया है, बल्कि बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण प्रयास भी किया है।
यह स्कूल सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं बल्कि बदलाव की नई इबारत लिख रहा है, जहां नक्सलवाद की छाया में पले-बढ़े बच्चे अब कलम और किताबों के साथ अपने भविष्य को संवार रहे हैं।
बस्तर में बदलाव की बयार: हिडमा के गांव में शिक्षा की नई रोशनी:
सुकमा। कभी नक्सलवाद के साए में दहशत से घिरे बस्तर की तस्वीर अब बदलने लगी है। सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन ने नक्सलियों के टॉप कमांडर हिडमा के गांव में ‘सीआरपीएफ गुरुकुल’ की शुरुआत की है, जहां आदिवासी बच्चे अब अपने भविष्य की नई इबारत लिख रहे हैं।
यह पहल बस्तर के आदिवासी बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने और शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। जहां पहले हिंसा का डर था, अब वहां स्कूल की घंटियां और बच्चों की पढ़ाई की गूंज सुनाई दे रही है।
वहीं, राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसे पूरा करने के लिए सुरक्षा बल लगातार नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं। इस बदले माहौल में शिक्षा और विकास की नई किरण ने बस्तर को एक नई दिशा दी है, जिससे यह क्षेत्र अब उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो रहा है।
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