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टोल प्लाजा में फर्जीवाड़ा: सॉफ्टवेयर से करोड़ों का घोटाला, कई जगहों पर जारी था खेल

  टोल प्लाजा में फर्जीवाड़ा: सॉफ्टवेयर से करोड़ों का घोटाला, कई जगहों पर जारी था खेल: देश के चार प्रमुख टोल प्लाजा – कुम्हारी, महाराजपुर, मु...

 टोल प्लाजा में फर्जीवाड़ा: सॉफ्टवेयर से करोड़ों का घोटाला, कई जगहों पर जारी था खेल:


देश के चार प्रमुख टोल प्लाजा – कुम्हारी, महाराजपुर, मुदियापारा और अन्य स्थानों पर फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी का बड़ा मामला सामने आया है। इस घोटाले में बिना फास्टैग वाले वाहनों को "फ्री पास" दिखाकर उनसे अवैध रूप से वसूली की जा रही थी।

कैसे हुआ घोटाला?

इन टोल प्लाजा में एक खास फर्जी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया था, जो सिस्टम में वाहनों को बिना फास्टैग भुगतान के गुजरने की अनुमति दिखाता था। असल में, ये वाहन भुगतान कर रहे थे, लेकिन रिकॉर्ड में इसे 'फ्री एंट्री' के रूप में दर्ज किया जा रहा था।


मुख्य स्थान और प्रभावित क्षेत्र:

कुम्हारी टोल प्लाजा

महाराजपुर टोल प्लाजा

मुदियापारा टोल प्लाजा

इन जगहों पर गड़बड़ी लंबे समय से जारी थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए टोल वसूली में करोड़ों का नुकसान हुआ है।


प्रशासन की कार्रवाई:

घोटाले का खुलासा होते ही प्रशासन हरकत में आ गया है। इन टोल प्लाजा के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं और सॉफ्टवेयर की जांच की जा रही है। इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।


जनता पर असर

यह घोटाला न केवल सरकारी राजस्व के लिए बड़ा नुकसान है, बल्कि आम जनता के साथ भी धोखाधड़ी का एक गंभीर उदाहरण है।


क्या हो सकता है आगे?

जांच एजेंसियां इस बात पर ध्यान दे रही हैं कि क्या इस फर्जीवाड़े में उच्च स्तर के लोग भी शामिल हैं। सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाने और जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करने का आश्वासन दिया है।

यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सतर्कता की एक बड़ी मिसाल बन सकता है।


12 राज्यों के 200 टोल नाकों पर बड़ा घोटाला: फर्जी सॉफ्टवेयर से करोड़ों की हेराफेरी:

देशभर के 12 राज्यों के 200 टोल नाकों में फर्जी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। इस संगठित धोखाधड़ी से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को भारी नुकसान हुआ है।


छत्तीसगढ़ के टोल प्लाजा भी शामिल:

यह घोटाला छत्तीसगढ़ के कुम्हारी, भोजपुरी, महाराजपुर और मुदियापारा टोल प्लाजा में भी बड़े पैमाने पर चल रहा था। फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिए, बिना फास्टैग वाले वाहनों को "फ्री एंट्री" दिखाकर उनसे अवैध रूप से वसूली की गई।


स्पेशल टास्क फोर्स की जांच:

उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (UP-STF) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए हर दिन लाखों रुपये की हेराफेरी की जा रही थी। टोल कलेक्शन के असली आंकड़े छिपाकर, सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया।


फर्जी सॉफ्टवेयर का कामकाज:

यह सॉफ्टवेयर वाहनों को "फ्री एंट्री" दिखाता था।

असल में, वाहन चालकों से टोल लिया जाता था, लेकिन रिकॉर्ड में इसे मुफ्त दर्ज किया जाता था।

यह प्रक्रिया गुपचुप तरीके से चल रही थी, ताकि सिस्टम को धोखा दिया जा सके।


12 राज्यों में संगठित घोटाला:

इस घोटाले का जाल केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है। देश के अन्य 11 राज्यों में भी इसी तकनीक का उपयोग कर घोटाला किया गया।


NHAI को बड़ा नुकसान:

इस फर्जीवाड़े के चलते NHAI को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। टोल नाकों से इकट्ठा होने वाला पैसा, जो सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए इस्तेमाल होता है, वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।


आगे की कार्रवाई:

UP-STF मामले की गहन जांच कर रही है।

कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

सरकार ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

सभी टोल प्लाजा में सॉफ्टवेयर की व्यापक जांच शुरू की गई है।


जनता और सरकार के लिए सबक:

यह घोटाला न केवल सरकारी तंत्र की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह बताता है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए तकनीकी निगरानी और सख्त नियमों की कितनी आवश्यकता है।


जांच पूरी होने के बाद दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग उठ रही है।


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