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बच्चों को दस्त से बचाने रमैया वार्ड से शुरू हुआ ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’, महापौर संजय पांडे ने किया शुभारंभ

जगदलपुर, 16 जून 2025: स्वास्थ्य की दिशा में एक अहम पहल करते हुए आज रमैया वार्ड स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का शुभार...

जगदलपुर, 16 जून 2025: स्वास्थ्य की दिशा में एक अहम पहल करते हुए आज रमैया वार्ड स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का शुभारंभ जगदलपुर के महापौर माननीय संजय पांडे के करकमलों से हुआ। यह अभियान 16 जून से 31 जुलाई तक जिले भर में चलेगा और इसका लक्ष्य है – “हर बच्चे तक ORS और जिंक पहुँचाना, दस्त से बचाना”।

इस अवसर पर महापौर के साथ नगर निगम के सभापति खेम सिंह देवांगन, MIC PWD के सभापति निर्मल पाणिग्राही, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय बसाक और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सी. मैत्री जैसे प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

जमीनी क्रियान्वयन और सामाजिक सहभागिता

रमैया वार्ड आदि सभी शहरी क्षेत्रों में भी आंगनबाड़ी केंद्र मातृ एवं बाल स्वास्थ्य की रीढ़ हैं, किन्तु अक्सर जल-जमाव, गंदगी और सीमित संसाधनों के कारण बच्चों में बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं।

आज के कार्यक्रम में शहरी क्षेत्र के प्रभारी सुपरवाइज़र प्रशांत श्रीवास्तव और नरेश मरकाम के साथ शैलेन्द्र सिंग, तामेश्वरी मरावी, मोहन कश्यप, संपत नाग, दीपा यादव, मीना सेठिया एवं स्थानीय समाजसेवियों मीना नेताम, सविता यादव, लता विश्वकर्मा, मोनिका यादव और राजबाई ध्रुव की उपस्थिति ने अभियान को जनभागीदारी का रूप दिया।

इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की संयुक्त भागीदारी के साथ स्थानीय समुदाय की सक्रियता ने इसे "जन-जन की योजना" बना दिया है।

बस्तर की जमीनी हकीकत में यह अभियान क्यों है बेहद अहम?

बस्तर एक आदिवासी बहुल, वनवासी और भौगोलिक रूप से दुर्गम क्षेत्र है, जहाँ की आबादी का बड़ा हिस्सा सुदूर गांवों में निवास करता है। बरसात के मौसम में कई गांव मुख्य मार्गों से कट जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बेहद कठिन हो जाती है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, बस्तर जिले में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में कुपोषण, बार-बार होने वाले दस्त और संक्रमण मृत्यु दर के प्रमुख कारण हैं। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह अभियान केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि जीवन रक्षा की ठोस रणनीति है।

कार्यक्रम के तहत 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को ORS (ओआरएस) पैकेट और जिंक टैबलेट निःशुल्क वितरित किए जा रहे हैं। साथ ही उनके उपयोग की विधियाँ, स्वच्छता के उपाय और दस्त से बचाव की शिक्षा भी दी जा रही है।

सूचना संचार और स्वास्थ्य शिक्षा की ज़रूरत

बस्तर में अभी भी डायरिया के घरेलू और अवैज्ञानिक उपचार आम हैं। ORS और जिंक वितरण तभी कारगर होंगे जब साथ में जन-जागरूकता, साफ-सफाई की शिक्षा और पेयजल की गुणवत्ता को लेकर सतत प्रयास किए जाएं। इसमें मितानिनें, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और समाजसेवी महती भूमिका निभा सकते हैं।

“बस्तर की दुर्गमता और जनजातीय संवेदनशीलता को देखते हुए यह सिर्फ एक ‘स्वास्थ्य अभियान’ नहीं, बल्कि ‘जन-जीवन रक्षक प्रयास’ है, जो ज़मीन पर उतर कर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है।”

कार्यक्रम से संबंधित जानकारी मीडिया प्रभारी श्री शकील खान द्वारा साझा की गई।





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