आज दिनांक 4 मई लोकप्रिय डॉ. बसंत कश्यप के जन्मदिन के अवसर पर...परिचय... नाम: डॉ. बसंत कश्यप पद: उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत लोहंडीगुड़ा, जिला बस्...
आज दिनांक 4 मई लोकप्रिय डॉ. बसंत कश्यप के जन्मदिन के अवसर पर...परिचय...
नाम: डॉ. बसंत कश्यप
पद: उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत लोहंडीगुड़ा, जिला बस्तर
(छत्तीसगढ़)प्रेरणा: राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद विद्यासागर, डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर गुरुजी आदि के जीवन चरित से सदैव प्रेरित।
जीवन यात्रा
डॉ. बसंत कश्यप का जन्म बस्तर अंचल के एक सामान्य आदिवासी परिवार में हुआ। ग्रामीण और वनांचल क्षेत्र में जन्म लेने के कारण उन्होंने बचपन से ही समाज की वास्तविक चुनौतियों और आवश्यकताओं को निकट से देखा। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने स्थानीय विद्यालयों से प्राप्त की और उच्च शिक्षा के प्रति विशेष रुचि दिखाते हुए स्नातकोत्तर (Post Graduation) व BAMS की उपाधि अर्जित की। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं और दुर्गम क्षेत्रों तक विभाग की पहुंच नहीं होने के कारण सेवा भाव से चिकित्सा का कार्य प्रारंभ किया।
शिक्षा पूरी करने के पश्चात वे सामाजिक सेवा में भी सक्रिय हुए। समाज के बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने का कार्य उन्होंने मार्गदर्शक के रूप में भी किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ
1. शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
- क्षेत्र के सुदूर गाँवों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु निशुल्क कोचिंग, छात्रवृत्ति जागरूकता और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित किया।
- अनेक विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु प्रेरित कर उन्हें छात्रवृत्ति और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया।
2. स्वास्थ्य एवं जागरूकता
- स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, पोषण अभियान और महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों का संचालन किया।
- ग्रामीण स्वास्थ्य शिविरों एवं कोविड-19 के दौरान जनजागरूकता में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
3. सांस्कृतिक संरक्षण
- बस्तर की लोककला, हस्तशिल्प और पारंपरिक पर्व-त्योहारों को संरक्षित करने हेतु कई कार्यक्रम आयोजित किए।
- युवाओं को बस्तर की संस्कृति से जोड़ने हेतु विभिन्न सांस्कृतिक कार्यशालाओं का आयोजन कराया।
4. रोजगार एवं कौशल विकास
- ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण दिलाने की पहल की।
- महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया।
राजनीतिक दृष्टिकोण
डॉ. बसंत कश्यप का राजनीतिक दृष्टिकोण "समावेशी विकास" (Inclusive Development) पर आधारित है।
उनकी नीतियों के केंद्र में निम्नलिखित बिंदु रहते हैं:
- पंचायत स्तर पर ग्राम विकास योजनाओं को प्रभावशाली ढंग से लागू करना।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क व कृषि क्षेत्र में योजनाओं को प्राथमिकता देना।
- युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु योजनाएँ चलाना।
- पारदर्शिता और जनभागीदारी आधारित प्रशासन को बढ़ावा देना।
वे यह मानते हैं कि जनप्रतिनिधि का कर्तव्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं बल्कि जनता के साथ सतत संवाद बनाकर उनकी आकांक्षाओं को नीति-निर्माण तक पहुँचाना भी है।
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