बस्तर से उठी शांति की पुकार: बसवा राजू के मारे जाने के बाद ग्रामीणों का उबाल, आंदोलन की तैयारी बस्तर, छत्तीसगढ़ : नक्सल प्रभावित क्षेत्र ...
बस्तर से उठी शांति की पुकार: बसवा राजू के मारे जाने के बाद ग्रामीणों का उबाल, आंदोलन की तैयारी
बस्तर, छत्तीसगढ़ : नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह गोलियों की गूंज नहीं, बल्कि शांति की मांग है। अबूझमाड़ के दुर्गम जंगलों में माओवादी कमांडर बसवा राजू के मारे जाने के बाद इंद्रावती नदी पार सैकड़ों ग्रामीण एकजुट होकर शांतिवार्ता की मांग कर रहे हैं। यह पहली बार है जब तेलंगाना के बाद छत्तीसगढ़ के जंगलों से भी शांति की गंभीर आवाजें उठ रही हैं।
बसवा राजू, जो देश के सबसे कुख्यात और वांछित माओवादी नेताओं में से एक था, की हाल ही में पुलिस मुठभेड़ में मौत हुई। इसे सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है। इससे पहले पुलिस ने नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले कर्रेगुट्टा हिल्स पर भी नियंत्रण स्थापित किया था।
लेकिन इन कार्रवाइयों के बाद अब क्षेत्र में एक नया माहौल बनता दिख रहा है। इंद्रावती नदी के पार बसे ग्रामीणों में असंतोष और चिंता गहराती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि वे हिंसा से तंग आ चुके हैं और अब बदलाव चाहते हैं – एक ऐसा बदलाव जो बंदूकों से नहीं, संवाद से आए।
ग्रामीणों की इस अभूतपूर्व पहल से संकेत मिल रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में भी अब लोग स्थायी शांति और विकास की राह पर चलना चाहते हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि वे सिर्फ हथियारों से नहीं, बातचीत से भी समाधान खोजें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार इस मौके को समझदारी से ले और संवाद के द्वार खोले, तो यह क्षेत्र नक्सलवाद से स्थायी मुक्ति की ओर एक निर्णायक कदम बढ़ा सकता है।
क्या यह बस्तर की नई सुबह की शुरुआत है?
सवाल बड़ा है, लेकिन उम्मीद उससे भी बड़ी।
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